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अंग्रेज , इंग्लैंड का मूलनिवासी नही, बल्कि वो प्रवासी थे।

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मैं अवधेश कुमार, इस ब्लॉग के माध्यम से ब्रिटिश इतिहास पर फोकस किया हूं। जिस भारत में आर्य और मूलनिवासी में आर्य श्रेष्ठ है। उन्होंने अपने नाम पर भारत का नाम आर्यावर्त भी रखा। क्योंकि वो आदिवासियों और मूलनिवासियों से ज्यादा जागरूक और शिक्षित थे। शिक्षा कि यह ताकत है कि वह अपनी विचारों से किसी को बदलकर अपने जैसा बना सकता है। किसी भी व्यक्ति का मूल अस्तित्व के मिटा सकता है और उसे मानसिक गुलाम बना सकता है। बौद्धिक रूप से जागरूक व्यक्ति अपनी संस्कृति, धर्म, भाषा , जाति और विचारधारा को श्रेष्ठ बताकर किसी को भी MANIPULATE कर सकता है। अफ्रीका और अमेरिका के बारे मे तो सभी जानते हैं। क्योंकि संघर्ष चला हमे इतिहास में पढ़ने को मिल जाता हैं। इंगलैंड के मूलनिवासियों साथ कुछ ऐसा हुआ कि मानो किसी साप ने चूहा के बिल मे घुसकर उसका अस्तित्व के साथ साथ उसका नामो निशान मिटाकर वो प्रवासी ही मूलनिवासी बन गया। अतीत से वर्तमान तक यही साबित होता है कि साम्राज्य उसी का होता है जो ताकतवर होता है। जो कमजोर होता है उसका अस्तित्व मिट जाता है या मिटा दिया जाता है। ताकत का अभिप्राय राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, सैन्य औ...