1990 से 2020 तक का बिहार का राजनीतिक सफर।

यह ब्लॉग आज के युवा पीढ़ी के लिए बहुत ही खास है क्योंकि हम लोग इस ब्लॉग के माध्यम से से बिहार की पिछले 30 वर्षों का राजनीतिक सफर (1990-2020) तक का इतिहास जानेंगे। इसका पहला चरण (1947-1967) काँग्रेस के वर्चस्व का काल है। जब ऊंची जातियाँ इसकी सत्ता-संरचना के शीर्ष पर बैठी दिखती हैं। दूसरा चरण (1967-1990) को संक्रमण काल कहा जा सकता है जब राजनीतिक क्षेत्र में काँग्रेस के साथ-साथ ऊंची जातियों के प्रभुत्व में आ रही क्रमशः गिरावट और इसके साथ ही मध्य जातियों के धीमे किन्तु निरंतर उभरते प्रभाव को देखा जा सकता है। तीसरा चरण (1990 और उसके बाद) प्रथम चरण का पूर्ण विपर्यय है जिसमें काँग्रेस पार्टी और ऊंची जातियाँ राज्य की राजनीति में हाशिये पर चली जाती हैं। तीसरे चरण के प्रथम अध्याय (1990 - 1995) तक जिसमें चुनाव ओबीसी वर्सेस ऊँची जातियों के खिलाफ था। काँग्रेस बनाम जनता दल (जद)। पर आज यह राजनीतिक लड़ाई इसी जनता दल के दो फाड़ हुए धड़ों – राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू)। द्वितीय अध्याय 1995 चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने जनता दल (लालू यादव) से नाता तोड़कर अलग स...