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शिक्षित बेरोजगारी - एक विकट समस्या l

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खाली कंधे हैं इन पर कुछ भार चाहिए।  बेरोजगार हूं साहब मुझे रोजगार चाहिए।  जेब में पैसा नहीं है डिग्री लिए फिरता हूँ ।  दिन प्रतिदिन अपनी ही नजरों से गिरता हूँ ।  कामयाबी के घर में खुले किवाड़ चाहिए।  बेरोजगार हूं साहब मुझे रोजगार चाहिए।  बेरोजगार व्यक्ति निराशा, चिंता, तनाव जैसी समस्याओं को जन्म देता है। रोजगार पाने के लिए बेरोजगार इंसान मज़बूरी में गलत रास्ता अपना लेता है जैसे चोरी, डैकती, अपहरण, नशीले वस्तुओं का सेवन जैसे अपराधों में घिर जाता है। एक अध्धयन के अनुसार शिक्षित रोजगार की वृद्धि के कारण अपराध दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है।साइबर क्राइम शिक्षित बेरोजगार का ही देन है। 2 महीना पहले B. Ed एव CTET पास छात्र डिप्रेशन में आकर आत्महत्या कर लिया इसका मुख्य कारण बेरोजगारी था। सारी अहर्ता रखने के बावजूद उससे रोजगार प्राप्त नहीं हो पा रहा था। घरवाले लोग बेरोजगार व्यक्ति को सम्मान की नजर से नहीं देखते हैं। समाज में उसकी अवहेलना की जाती है।   प्राइवेट क्षेत्र में नेपोटिज्म जाति और परिवार के आधार पर ज्यादा देखने को मिलता है। अक्सर नौकरी उन्हीं को मिलती है...

निजी शिक्षक की व्यथा l

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मन की बात करने वाले से है मेरी गुजारिश,  वो तो कभी मेरे कल के बारे में करे विचार।  सरकारी उपेक्षा के सताये, दबाये व मारे है, बिमारीग्रस्त नहीं हुजूर हम है अर्थिक बीमार।  आज हम हो गए है कितना बेबस व लाचार।  लगता है ऐसा कि शिकारी का हो गया खुद शिकार।  कभी दूसरे को दिलाते थे नौकरी व रोजगार।  कैसा ये वक़्त आया है, हम ही हो गए बेरोजगार।  कोरोना वायरस ने सब कुछ छीन लिया हमारा , जैसे मान मर्यादा, रोजगार, सम्मान और पहचान।  स्कूल, कोचिंग, ट्यूशन सब बंद पड़े हैं मार्च से , विकट संकट में है हम सब शिक्षकों की जान।  होली के बाद से यु हीं दर बदर भटक रहे हैं हम, एक -एक रुपये कमाने के लिए हम है मोहताज।  खीर, पूरी, हलवा,मेवा मिष्ठान सब स्वप्न हो गई,  दाल भात भी न मिले रहीं है हमे खाने को आज।  पत्नि चिंतित, बच्चे रोये,माता-पिता है बेहाल,  मैं कहाँ जाऊँ किसको सुनाऊँ अपनी दीनता।  बैंक बैलेंस कब के खाली हो गए बुरा है हाल , शिक्षक की दुःख पर, सरकार को न कोई चिंता।   कब से बैठा हूँ करके शिक्षक पात्रता परीक्षा पास,  लेकिन अभी त...

नई शिक्षा नीति 2020 - आसान भाषा मे समझिये l

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आज हम इस ब्लॉग में हम नई शिक्षा नीति के बारे में जानेंगे  वह भी बिल्कुल सरल और सहज भाषा में। अतः पाठकों से मेरी अपील है कि पूरी जानकारी हेतु इस ब्लॉग को पूरा  अवश्य पढ़ें।  आजादी के पहले भी शिक्षा नीति में समय-समय पर सुधार होते रहे हैं। और आजादी के बाद कई बार नई शिक्षा नीतियों को लागू किया गया। कुछ सफल हुए और कुछ असफल हो गए। अब हम नई शिक्षा नीति 2020 के बारे में बात करते हैं। इसमें भी कुछ नया नहीं है जो भी पुराने शिक्षा नीतियां थी। उसी नीतियों को समय के अनुसार विकसित करने का प्रयास किया गया। अगर हम तुलनात्मक अध्ययन करें तो महात्मा गांधी के द्वारा जो वर्धा सम्मेलन हुआ था। उससे काफी हद तक मिलता-जुलता है। फर्क यह है कि वह समय अलग था आज का समय अलग है। आज हम डिजिटलाइजेशन के दौर में जी रहे है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विकास साथ ही साथ रोजगार का सृजन करना भी शिक्षा व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।   जो प्राचीन शिक्षा नीति थी उसी को  विकसित करके प्रकार से नई शिक्षा नीति 2020 का निर्माण किया गया। NEP 2020 का सार।  1. मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर...