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अंग्रेजी साहित्य के जनक — Jeoffrey Chaucer का जीवनी।

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आज हमलोग इस ब्लॉग में जेफ्री चौसर के जीवनी जानेंगे। हिन्दी मीडियम के बहुत सारे छात्रों को अंग्रजी लेखकों के जीवनी पढ़ने मे काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। हिन्दी में गूगल पर जानकारी ना के बराबर उपलब्ध होती है। मैं सभी लोगों तक अंग्रेजी साहित्य के साहित्यकारों का जीवनी पहुंचाने का कार्य कर रहा हूं ताकि जिसे इंग्लिश नहीं भी आती है वो अँग्रेजी साहित्यकारों को पढ़ सके। मेरे द्वारा किया गया एक छोटा सा प्रयास है l परिचय — जेफ्री चौसर एक महान लेखक और दार्शनिक थे। 17 वर्ष की अवस्था में इन्होंने इंग्लैंड के राजा एडवर्ड तृतीय के पुत्र अल्स्टर के अर्ल के परिवार में नौकरी कर ली। इस प्रकार इन्हें राजदरबार के तौर तरीकों की अच्छी जानकारी प्राप्त करने का अवसर मिला जिसका उपयोग इन्होंने अपनी कविता में प्रयोग किया। The Canterbury Tale को पहली बार अँग्रेजी भाषा में लिखी गई। उससे पहले लेखन कार्य लैटिन या फ्रेंच भाषा में होता है। अंग्रेजी भाषा के जनक शेक्सपियर तथा जेफ्री चौसर को माना जाता है। शेक्सपियर का इस इस भाषा को एक नया रूप देने के लिए जाना जाता है, परंतु जेफ्री चौसर को “अंग्रेजी साहित्य का पिता ...

विलियम शेक्सपीयर का बायोग्राफी l

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 आज हमलोग इस ब्लॉग के माध्यम से अंग्रेजी के महान ब्रिटिश कवि और नाटककार विलियम शेक्सपीयर के जीवनी के बारे में जानेंगे। विलियम शेक्सपियर न केवल कवि और नाटककार बल्कि एक सफल ऊधमी, बिजनेसमैन और ऐक्टर थे।  विलियम शेक्सपियर Birthplace - Stratford-upon-Avon में उनका जन्म हुआ था| Bard का मतलब होता है - POET। इन्होने 38-39 Dramas लिखे, 154 सोंनेट्स (14 लाइन की कविता) इन्होने लिखी और दो लम्बी Narative कवितायेँ इन्होने लिखी और कुछ दूसरी पोएट्री भी इन्होने लिखीं थी। 26 अप्रैल 1564 में, Stratford of Avon में इनका जन्म हुआ था, वहीँ इनकी मृत्यु भी हुई थी 1616 में।  शेक्सपियर के पिता जी का नाम जॉन शेक्सपियर एवं माता जी का नाम मैरी andren था। शेक्सपियर के पिताजी दस्ताने बनाने का काम करते थे| 18 साल की उम्र में विलियम शेक्सपियर की शादी ऐनी हेथवे से हो गई थी। इन्होने अपने पूरे जीवन में, Elizabethan Age भी देखी और Jacobean Age भी देखी और इन्ही के समय में इंग्लैंड में Renaissance भी आया था| विलियम शेक्सपियर william shakespeare की पत्नी का नाम था Anne Hathaway जोकि इनसे आठ साल बड़ी थीं| शादी के...

क्रांतिकारी कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’

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क्रांतिकारी कवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ हिन्दी के प्रसिद्ध कवियों में से एक राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 को सिमरिया नामक स्थान पे हुआ। इनकी मृत्यु 24 अप्रैल, 1974 को चेन्नई) में हुई । ( Note - अंग्रेज़ी मे अभी उपलब्ध नहीं है, 2 दिनों बाद उपलब्ध होगा।)  जीवन परिचय :  हिन्दी के सुविख्यात कवि रामाधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 ई. में सिमरिया, ज़िला मुंगेर (बिहार) में एक सामान्य किसान रवि सिंह तथा उनकी पत्नी मन रूप देवी के पुत्र के रूप में हुआ था। रामधारी सिंह दिनकर एक ओजस्वी राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत कवि के रूप में जाने जाते थे। उनकी कविताओं में छायावादी युग का प्रभाव होने के कारण श्रृंगार के भी प्रमाण मिलते हैं। दिनकर के पिता एक साधारण किसान थे और दिनकर दो वर्ष के थे, जब उनका देहावसान हो गया। परिणामत: दिनकर और उनके भाई-बहनों का पालान-पोषण उनकी विधवा माता ने किया। दिनकर का बचपन और कैशोर्य देहात में बीता, जहाँ दूर तक फैले खेतों की हरियाली, बांसों के झुरमुट, आमों के बगीचे और कांस के विस्तार थे। प्रकृति की इस सुषमा का प्रभाव दिनकर के म...

किसान बिल पर इतना हंगामा क्यों ???

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 किसान बिल पर हाय-तौबा क्यों?  ब्लॉगर - अवधेश कुमार   आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से किसान बिल 2020 के बारे में जानेंगे। यह बिल किसान बिरोधी है लेकिन सरकार तो सिर्फ फायदे बता रहीं है। इसका परिणाम उलझाने वाला होगा। अगर ये बिल किसानों के हित मे था तो कृषि मंत्री त्यागपत्र क्यों दी ? यह तो गौर करने वाली बात है। तीसरा बिल तो जनता का बिरोधी है जिसमें जमाखोरी की बात की गई है। इसमे मंहगाई बढ़ेगी और पूंजीपतियों को फायदा होगा और गरीब महंगाई का सामना करेगा।  इस नये कृषि कानून से बिहार में सबसे अधिक अहित बिहार के किसानों को है।  इनमें से ज्यादातर छोटी जोत की खेती करते हैं और अमूमन लीज या बंटाई पर जमीन लेकर अपनी आय बढ़ाते हैं। इस दौर में भी शहरों में बस गये बिहार के भूस्वामी इन्हें 8 से 12 हजार रुपये प्रति बीघा की दर से अपनी जमीन खेती करने के लिए दे देते हैं। जैसे ही कॉन्टैक्ट फार्मिंग शुरू होगी, इन सबका बेरोजगार होना तय हो जायेगा। कम्पनियां 15 हजार रुपये प्रति बीघा देकर सभी भूस्वामियों की जमीन लीज पर ले लेगी। लोग खुशी खुशी दे भी देंगे। फिर ये लोग क्या करेंगे? मगर अभी इन खेतिहर...

हिन्दी भाषा पर व्यंग

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14 सितंबर 1949 को हिन्दी को राजकीय भाषा घोषित किया गया था इ।स उपलक्ष्य में प्रत्येक 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप दिवस के रूप मे मनाया जाता है।  आप सभी को हिन्दी दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं। मेरे द्वारा लिखा गया पहला व्यंग्य है। मेरी अनुरोध है कि आप पूरा अवश्य पढ़े।  हिंदी दिवस हिंदी भाषियों के लिए रोना रोने का मौका बनकर रह गया है।मुझे  तो रोना उन अंधभक्तों पर आता है जो हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुत्व की बात करते हैं। क्योंकि जो हिन्दी भाषा है वह फारसी भाषा का शब्द है। मैं इसका इतिहास लिखूँगा तो पोस्ट बहुत बड़ा हो जाएगा विश्वास न हो तो गूगल पर सर्च करे। जिस प्रकार सप्ताह से हपता हुआ उसी तरह सिंधु से हिन्दू हो गया।  अंधभक्त के साथ कैसी विडम्बना है कि एक तरफ संस्कृति बचाने के लिए लड़ते हैं और दूसरी तरफ निजीकरण का समर्थन कर रहे हैं l उनके लिए आगे कुआ और पीछे खायी वाली स्थिति है। निजीकरण से सबसे बड़ा खतरा हिन्दी, धर्म, साहित्य और संस्कृति की आस्तित्व पर होगा जो अपने ही घर से बेघर हो जाएगी। इंग्लिश मीडियम वाले क्राइस्ट स्कूल इसका प्रमुख उदारहण है।  वैसे मुझे हिन्दी और ...