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अखण्ड भारत का निर्माता - मौर्य सम्राट चक्रवर्ती अशोक महान

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मौर्य सम्राट अशोक के आर्दश, धर्म, लोकहित, लोकसेवा तथा धम्म की सम्पूर्ण विशेषताओं के साथ-साथ उसकी विजय, उसका शासन और कला प्रेम आदि सभी कुछ महान था । चक्रवर्ती सम्राट अशोक महान मौर्य ने बौद्ध धर्म को अपनाया था। उन्होंने भारत में धर्म-निरपेक्षता एवं सामंजस्य की भावना को बढ़ावा दिया। उनके द्वारा निकाले गए शिलालेखों में उन्होंने अपने लोगों को शान्ति, अहिंसा, सम्मान एवं तुलनात्मक विश्वसन के महत्व के बारे में संदेश दिया था। सम्राट अशोक (ईसा पूर्व 304 - ईसा पूर्व 232) को चन्द्रगुप्त और चाणक्य द्वारा निर्मित मजबूत राज्यव्यवस्था विरासत में मिली । जिसे सम्राट अशोक ने अपने शौर्य और नेतृत्व से शासन किया और देश का एकीकरण किया । कलिंग युद्ध के पश्चात अशोक ने अंहिसा एंव जियो और जियो दो के सिध्दांत को अनुसरण करते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया । बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार विदेशो में कराया। अर्थात सम्राट अशोक शस्त्र और शास्त्र के सिद्धांत दोनो से जीता । भूभाग भी जीता लोगो का दिल भी जीता । अशोक की लोकतांत्रिक शासन पध्दति की छाप हमारे वर्तमान लोकतंत्र पर है । अशोक ने व्यापारिक मैत्रेय सम्बन्ध भी मधुर बनाये थे ...

इश्क ~ Impression से Depression तक का सफर।

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(मैं अवधेश कुमार ,इस ब्लॉग के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी की से समस्या है उस से अवगत कराने जा रहा हूं। इसी पे Christopher Marlowe या Shakesprearean drama के शैली में एक कहानी भी लिखने जा रहा हूं ,Plot और Charecter का चुनाव हो गया हैं। डायलॉग और ग़ज़ल का चुनाव कर रहा हूं। ) पढ़ाई और प्रेम करने की अवस्था एक ही है और दोनो ही जरूरी है। प्यार खुद हो जाता है और करना भी आसान है जबकि पढ़ाई जबर्दस्ती करना पड़ता है । एक में मजा है तो दूसरा सजा । हम attraction को ही प्यार समझ बैठते है । Technology की इस दुनियां में प्यार WiFi के जैसा हो गया है। पास रहने पर connected होता हैं और दूर जाने पर searching for new device वाला हालत हो गया है ।  इंप्रेशन से डिप्रेशन तक की सफर का नाम ही इश्क है।  आसान नहीं मुक्कमल होना इसमें बहुत बड़ा रिश्क है । खुशी का तो पता नहीं लेकिन गमों का मिलना फिक्स है । खरा सोना है जैसा नहीं 18 कैरेट आभूषण जैसा मिक्स है । इश्क का परवान चढ़ता है तो बेगाने अपने नजर आने लगते है और अपने बेगाने हो जाते है। खून का रिश्ता पे जुनून का रिश्ता हावी हो जाता है। यह इतना ताकत ला देता ...

जय भीम , नमो बुद्धाय में अम्बेडकर का नाम क्यों?

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क्या दलित पृष्टभूमि के कारण अम्बेडकर की आलोचना की जाती है ?  लोगो को उनके नाम से नफरत है क्यों ? जय भीम से नफरत है ? किसी भी महापुरुष को उसकी जाति विशेष से जोड़कर दिखना कितना उचित है ? आज लोगो को एक Ph.D करने के लिए सोचना पड़ रहा है तो फिर चार विषयों में Ph.D वाले से नफरत क्यों ? आज मैं अवधेश कुमार इस ब्लॉग में बाबा साहेब के बारे में लिखकर गागर में सागर भरने का काम कर रहा हूं। उनके बारे में लिखने के लिए पूरा किताब कम पड़ जायेगा। जितना सम्मान उन्हे भारत के बाहर विदेशो में दी जाती है उतना भारत में नही मिलता है। अमेरिका के कोलंबिया यूनीवर्सिटी में उनका मूर्ति लगा हुआ है। पूरे विश्व में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे व्यक्ति में उनका नाम आता है।  कुछ वर्ष पहले मैं सोचता था कि दलितों के नायक भीम राव अम्बेडकर से हमे क्या लेना ? दलितों के उत्थान के लिए कार्य किए है इसलिए दलित जय भीम का नारा लगाते है । हमारे मन में किसी किसी प्रकार की कोई जिज्ञासा नहीं उठी । उसके बाद मैं जय भीम ,नमो बुद्धाय भी सुना। अचानक हमारे मन में जिज्ञासा उठा कि भगवान   विष्णु के नवम अवतार भगवान बुद्ध के साथ जय ...