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जगदेव बाबु :- एक महान क्रांतिकारी नेता l

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जगदेव बाबु एक क्रांतिकारी नेता। जिन्होंने शोषित समाज के उत्थान के लिए अपने जीवन को बलिदान कर दिया। जिन्हें आज की पीढ़ी एकदम से भूल चुके हैं बहुत से लोग जो इनका नाम भी नहीं जानते हैं। आज के इस ब्लॉग में हम जगदेव बाबू- एक क्रांतिकारी नेता के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे ।  राजनीति की चर्चा हो और बिहार का नाम ना आए तो राजनीति की चर्चा आधी अधूरी सी लगती है। बिहार ज़न आंदोलन का गढ़ रहा है और यहां एक से बढ़कर एक क्रांतिकारी नेताओं का जन्म हुआ है l इस बात को अटल बिहारी वाजपेयी भी स्वीकार चुकें है l वे कहते थे कि भले ही उनका जन्म बिहार मे नहीं हुआ हो लेकिन खुद बिहारी मानते थे। और वह कहते थे कि मेरा तो नाम मे भी बिहारी आता है।  स्वतंत्रता सेनानी वीर कुँवर सिंह, तिलका मांझी, बिरसा मुंडा, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, जननायक कर्पूरी ठाकुर, लोकनायक जय प्रकाश नारायण, गरीबो के मसीहा के नाम से मशहूर श्री लालू प्रसाद यादव। वर्तमान मे श्री नीतीश कुमार है लेकिन श्री नीतीश कुमार ने को हम क्रांतिकारी की श्रेणी मे हम नहीं रख सकते हैं।  श्री लालू प्रसाद यादव को  90 के दशक गरीबों का मसीहा कहा गय...

कलम की ताकत

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कलम की ताकत के सामने, हमेशा घुटने टेकी है ये तलवारl कमियों को देख कर मैं तो बोलूंगा, R. T. I देता है मुझको  अधिकार l  मेरी तो है बस यही एकमात्र ईच्छा ,  मिले सबको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा l कमी किस में है सरकार या जनता में,   बुद्धिजीवियों करो इसकी समीक्षाl मजदूर या हो अफसर का संतान,  मिले शिक्षा सब को एक समान l  यह जगाती हमारे अंदर स्वाभिमान,   क्यों फेल है सर्व शिक्षा अभियान l पढ़ेंगे बढ़ेंगे बुराइयों पर जीतेंगे कभी,   इस बात पर तुम करो गहन विचार l जनतंत्र के अधिनायक है हम सभी, कभी भी ना समझना खुद को लाचारl कितना भी पढ़ो कभी ना होती पूरीl  इसके बिना तो है जीवन अधूरी l प्रत्येक प्राप्त करे इसे, ये हैं जरूरी l शिक्षा के आगे हारता है हर मजबूरी l रचनाकार :- अवधेश कुमार In front of the power of the pen, This sword is always kneeling. Seeing the inappropriate , I will say, RTI gives me the rights.   This is my only wish,  Everybody gets quality education. What is lacking in the government or public,   The intel...

यारवाद, पैसावाद व परिवारवाद - लोकतंत्र की चुनौतियाँ l

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अवधेश कुमार भारतीय लोकतंत्र की अनेकों चुनौतियां हैं जिसमें क्षेत्रवाद, संप्रदायवाद भाषावाद, जातिवाद प्रमुख समस्या रही है, लेकिन इसके  अलावा और भी चुनौतियां हैं l जो लोकतंत्र की जड़ों को खोखला कर रहे हैं और ऐसा लगता है कि यह वृक्ष रुपी लोकतंत्र एक दिन इन चुनौतियों की आँधी में उखड़ जाएगी । आज मैं इस ब्लॉग में  यारवाद, पैसावाद और परिवारवाद पर  चर्चा करूंगा l  यारवाद का संबंध लोकतंत्र में राजनीतिक पार्टियों के करीबियों से है जैसे प्रधानमंत्री मोदी जी को भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के रूप में अमित  शाह पहली पसंद थेl  दोनों का पारिवारिक पृष्ठभूमि गुजरात से है और एक दूसरे के करीबी माने जाते हैंl आजकल चुनाव में टिकट कर्मठ संयोग परिश्रमी कार्यकर्ता को ना मिलकर उसको मिलती है जो करीबी होते हैं। इसे हमलोग यारवाद के नाम से जानते हैं। ऐसा उदाहरण आपको प्रत्येक राजनीतिक दलों में  देखने को मिलेगा l   मैं इसे स्पष्ट करने के लिए लोकल उदाहरण देता हूं। गया के बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र जहां 2010 में जदयू प्रत्याशी के रूप में ज्योति मांझी को चुनाव मैदान में...

मनुस्मृति ग्रंथ का विरोध होता है क्यों?

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मनुस्मृति क्या है? मनुस्मृति इतनी विवादित किताब क्यों है ? B R   (बी आर अम्बेदकर)  के द्वारा इसे क्यों जलाया गया था। चन्द्रशेखर रावन (भीम आर्मी के अध्यक्ष), मायावती, कन्हैया कुमार एवं अन्य दलित नेताओं भी के द्वारा भी बार बार इस किताब का विरोध क्यों किया जाता है? कुछ समय पहले, सोशल मीडिया पर मनुवाद की जमकर विरोध किया जा रहा था। लेकिन आज भी बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें मनु , मनुवाद एवं मनुस्मृति के बारे में जानकारी भी नहीं है। मैं अपने इस ब्लॉग के माध्यम से मनुवाद के बारे में बताने का प्रयास किया हूं। इतिहासकारों की मानें तो स्मृति का मतलब धर्मशास्त्र (theology )होता है। महाराज मनु के द्वारा लिखा गया धार्मिक लेख को मनुस्मृति कहा जाता है। सनातन धर्म के अनुसार मनु संसार के प्रथम पुरुष थे। मनु का जन्म को कोई ठोस व वास्तविक प्रमाण नहीं है l सभी अंधेरे मे ही तीर चला रहे हैं l जितनी मुँह उतनी बाते होती हैl लेकिन धर्मशास्त्र के महान विद्वान पी.वी काणे से लेकर भीमराव आंबेडकर तक ने इसे स्वीकार किया है कि मनु-स्मृति के रचनाकार सुमति भार्गव हैं, लेकिन अफसोस कि सारी राजनीति महाराज मनु ...