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Showing posts from July, 2020

नई शिक्षा नीति 2020 - आसान भाषा मे समझिये l

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आज हम इस ब्लॉग में हम नई शिक्षा नीति के बारे में जानेंगे  वह भी बिल्कुल सरल और सहज भाषा में। अतः पाठकों से मेरी अपील है कि पूरी जानकारी हेतु इस ब्लॉग को पूरा  अवश्य पढ़ें।  आजादी के पहले भी शिक्षा नीति में समय-समय पर सुधार होते रहे हैं। और आजादी के बाद कई बार नई शिक्षा नीतियों को लागू किया गया। कुछ सफल हुए और कुछ असफल हो गए। अब हम नई शिक्षा नीति 2020 के बारे में बात करते हैं। इसमें भी कुछ नया नहीं है जो भी पुराने शिक्षा नीतियां थी। उसी नीतियों को समय के अनुसार विकसित करने का प्रयास किया गया। अगर हम तुलनात्मक अध्ययन करें तो महात्मा गांधी के द्वारा जो वर्धा सम्मेलन हुआ था। उससे काफी हद तक मिलता-जुलता है। फर्क यह है कि वह समय अलग था आज का समय अलग है। आज हम डिजिटलाइजेशन के दौर में जी रहे है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विकास साथ ही साथ रोजगार का सृजन करना भी शिक्षा व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए।   जो प्राचीन शिक्षा नीति थी उसी को  विकसित करके प्रकार से नई शिक्षा नीति 2020 का निर्माण किया गया। NEP 2020 का सार।  1. मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर...

बिहार की राजनीति और जाति l

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बिहार के ग्रामीण लोगों का एक कहावत है "बेटी और वोट जाति को"।  आज इस ब्लॉग के माध्यम से बिहार की राजनीति मे जातिवाद की भूमिका के बारे मे जानेंगे l चुनावी महामारी मे जातिवादी बीमारी l भारतीय सामाजिक व्यवस्था का एक आधार जाति है। इस विचारधारा के अनुसार एक जाति विशेष के लोग स्वाभाविक तौर पर सामाजिक समुदाय का निर्माण करते हैं और उनके हित एक समान होते हैं और अन्य जातियों के हितों से उनके हित मेल नहीं खाते हैं। ग्रामीण समाज का संगठन प्रमुख रूप से जाति के आधार पर होता है।  भारत में जाति व्यवस्था की आरंभ वैदिक काल से ही हुई। वैदिक काल में कर्म के आधार पर चार वर्णों की व्यवस्था की गई थी। इसी प्रकार की मान्यता का प्रतिपादन प्लेटो ने अपनी आदर्श राज्य के लिए किया था। उसने अपनी मान्यता के अंतर्गत या स्पष्ट किया कि हर व्यक्ति में तीन प्रकार के तत्व होते हैं विवेक, साहस एवं क्षुधा। इसी आधार पर उसने  3 सामाजिक वर्गों दार्शनिक, शासक और सैनिक वर्ग एवं उत्पादक वर्गों की चर्चा की।  बिहार में जातिगत राजनीति की बात हो और श्री लालू प्रसाद यादव जी का नाम ही ना आए, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। लालू...

अंतर्मुखी व्यक्तित्व के अनोखे गुण l

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आज हम इस ब्लॉग के माध्यम से  व्यक्तित्व के बारे में जानेंगे l अंतर्मुखी व्यक्तित्व की जो गलत अवधारणाएं हैं मैं उससे आपको रूबरू कराऊंगा। हम अंतर्मुखी व्यक्तित्व के 15 गुणों के बारे में जानेंगे।   कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि जो व्यक्ति  कम बोलता है, गुमसुम सा या चुप रहता है, समाज से दूरी बनाकर रहता है वैसे व्यक्तियों में निर्णय क्षमता का अभाव होता है। जबकि मनोवैज्ञानिक अध्ययन से पता चलता है कि कम बोलने वाले व्यक्ति हमेशा चिंतनशील होते हैं इनके मस्तिष्क में कुछ ना कुछ विचार चलता रहता है। परिस्थितियों की समझने की क्षमता इनके अंदर सबसे ज्यादा होती हैl इनके अंदर बहुत सारे गुणों का भंडार होता हैl यह अपने इच्छा क्षमता के अनुसार आसपास में बदलाव लाने की क्षमता रखते हैंl आसान भाषा में हम इनको छुपा रुस्तम कह सकते हैंl यह अपने जीवन में ऊंचाइयों को प्राप्त करते हैंl इन्हें बिना वजह बोलने की आदत नहीं होती हैl यह किसी के सामने खुद को ऐसा कभी नहीं प्रकट करते हैं कि मैं ही श्रेष्ठ हूं। दिखावे की जिंदगी इन्हें पसंद नहीं होता है। ये बोलने में कम और करके दिखाने में ज्यादा यकीन रखते हैं।...