आत्म निर्भर बन

दिल छू लेने वाली कविता 

अवधेश कुमार 

 शीर्षक :-  आत्मनिर्भर बन 

चुप क्यों है अपनी आवाज दबा, अब तो तू सवाल कर l
ना सहन कर गलत को, अब तो तू इंकलाब करl

ना मिले जवाब, तो खुद जवाब तलाश कर l
अपने सीने मे दफन आग को, जलाकर राख कर l

कमियों को ना गिन तू, ना उसका तू मलाल कर l
जो भी पास है तेरे, तू उससे ही कमाल कर l

कुछ तो अच्छा ढूंढ लेना, मन को तू ना उदास कर l
तू उठ कुछ करके दिखा, ना खुद को तू बेकार कर

सोचता है क्या तू, अपना वक्त ना खराब कर l
रास्ते जो ना मिले, तो खुद की राह निर्माण कर l

काल के कपाल पर, करके तांडव तू दिखा l
आग का दरिया, प्रचंड अग्नि बन कर पार कर l

चुप क्यों है अपनी आवाज दबा, अब तो तू सवाल कर
ना सहन कर गलत को, अब तो तू इंकलाब कर

ना मिले जवाब, तो खुद जवाब तलाश कर
अपने सीने मे दफन आग को, जलाकर राख कर 

कमियों को ना गिन तू, ना उसका तू मलाल कर
जो भी पास है तेरे, तू उससे ही कमाल कर

कुछ तो अच्छा ढूंढ लेना, मन को तू ना उदास कर
तू उठ कुछ करके दिखा, ना खुद को तू बेकार कर

सोचता है क्या तू, अपना वक्त ना खराब कर
रास्ते जो ना मिले, तो खुद की राह निर्माण कर

काल के कपाल पर, करके तांडव तू दिखा
आग का दरिया, प्रचंड अग्नि बन कर पार कर



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 Title: - Become Self-sufficient

Why is your voice silent, now you question
Do not tolerate wrong, now you have to negotiate.

If you do not get the answer, then find the answer yourself.
Burn the fire buried in your chest, burn it to ashes.

Do not count the shortcomings, nor do you deface it.
Whoever is near you, do wonders with him only.

Find something good, do not make your heart sad.
You show up by doing something, don't make yourself useless

Do you think, don't waste your time
If you do not find ways, then create your own path.

On the skull of Kaal, you showed the Tandava.
Cross the path of fire, becoming a fiery fire.

Poet :- Awadhesh Kumar






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